जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों की रिहाई में लाएं तेजी, पीएम मोदी की न्यायपालिका से अपील
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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज प्रथम अखिल भारतीय जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बैठक के उद्घाटन सत्र में हिस्सा लिया। इस मौके पर भारत के मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमना और केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू भी मौजूद रहे। इस बैठक में पीएम मोदी ने कहा, ‘ये समय हमारी आजादी के अमृतकाल का समय है। ये समय उन संकल्पों का समय है जो अगले 25 वर्षों में देश को नई ऊंचाई पर ले जाएंगे। देश की इस अमृतयात्रा में व्यापार करने में आसानी और जीवन में आसानी की तरह ही न्याय की आसानी भी उतनी ही जरूरी हैं।
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के दो दिवसीय सम्मेलन में आए जिला जजों से प्रधानमंत्री ने आग्रह किया कि जिला स्तरीय विचाराधीन पुनर्विचार समिति के चेयरमैन होने के नाते विचाराधीन कैदियों की रिहाई में वह तेजी लाएं। पीएम मोदी ने दिल्ली के विग्यान भवन में कहा की देश में विचाराधीन कैदियों से जुड़े मानवीय विषयों पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा पहले भी कई बार संवेदनशीलता दिखाई गई है। ऐसे में कितने ही कैदी हैं, जो कानूनी सहायता का इंतजार वर्षों से कर रहे हैं। पीएम मोदी ने कानूनी सहायता नहीं मिलने की वजह से बड़े पैमाने पर देश की जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों को जल्द रिहा करने की अपील न्यायिक अधिकारियों से की। पीएम ने आगे कहा कि हमारे जिला विधिक सेवा प्राधिकरण इन कैदियों को कानूनी सहायता देने का जिम्मा उठा सकते हैं। उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद जिला जजों से अपील करते हुए कहा कि देश भर से डिस्ट्रिक्ट जज यहां आए हैं। मेरा उनसे आग्रह है कि जिला स्तरीय विचाराधीन पुनर्विचार समिति के चेयरमैन होने के नाते विचाराधीन कैदियों की रिहाई में वह तेजी लाएं। पीएम मोदी ने कहा कि नाल्सा ने इस दिशा में कैंपेन भी शुरू कर दिया है और मैं अपेक्षा करता हूं कि कानूनी सहायता के जरिए इस अभियान को सफल बनाएंगे। मैं बार काउंसिल से भी आग्रह करूंगा कि इस अभियान में सबसे ज्यादा वकीलों को जोड़ने के लिए प्रेरित करें।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जेलों में बंद और कानूनी मदद का इंतजार कर रहे विचाराधीन कैदियों की रिहाई की प्रक्रिया में न्यायपालिका से तेजी लाने की अपील की है। पीएम मोदी ने शनिवार को अखिल भारतीय जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों की पहली बैठक को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि व्यवसाय की सुगमता और जीवन की सुगमता जितनी महत्वपूर्ण है, न्याय की सुगमता भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री ने कहा, श्कारागारों में कई विचाराधीन कैदी कानूनी मदद मिलने का इंतजार कर रहे हैं। हमारे जिला विधिक सेवा प्राधिकरण विचाराधीन कैदियों को कानूनी सहायता मुहैया कराने की जिम्मेदारी ले सकते हैं।
विचाराधीन कैदियों की रिहाई में लाएं तेजीरू पीएम मोदी
मोदी ने न्यायाधीशों से अपील की कि वे विचाराधीन मामलों की समीक्षा संबंधी जिला-स्तरीय समितियों के अध्यक्ष के रूप में विचाराधीन कैदियों की रिहाई में तेजी लाएं। प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण ने इस मामले में एक अभियान शुरू किया है। उन्होंने बार काउंसिल ऑफ इंडिया से इस प्रयास में और अधिक वकीलों को जोड़ने का आग्रह किया।
देश में वर्चुअल कोर्ट शुरू की जा रहीरू मोदी
च्ड मोदी ने कहा, श्किसी भी समाज के लिए न्याय प्रणाली तक पहुंच जितनी जरूरी है, उतनी ही जरूरी न्याय वितरण प्रणाली भी है। इसमें एक अहम योगदान न्यायिक अवसंरचना का भी होता है। पिछले आठ वर्षों में देश के न्यायिक अवसंरचना को मजबूत करने के लिए तेज गति से काम हुआ है। ई-कोर्ट मिशन के तहत देश में वर्चुअल कोर्ट शुरू की जा रही हैं। यातायात उल्लंघन जैसे अपराधों के लिए 24 घंटे चलने वाली कोर्ट ने काम करना शुरू कर दिया है। लोगों की सुविधा के लिए कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर का विस्तार भी किया जा रहा है।
कमजोर व्यक्ति को भी मिले न्याय का अधिकार
प्रधानमंत्री ने कहा, ये समय हमारी आजादी के अमृतकाल का समय है। ये समय उन संकल्पों का समय है जो अगले 25 वर्षों में देश को नई ऊंचाई पर ले जाएंगे। देश की इस अमृतयात्रा में व्यापार करने में आसानी और जीवन में आसानी की तरह ही न्याय की आसानी भी उतनी ही जरूरी हैं। न्याय का ये भरोसा हर देशवासी को ये एहसास दिलाता है कि देश की व्यवस्थाएं उसके अधिकारों की रक्षा कर रही हैं। इसी सोच के साथ देश ने राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण की स्थापना भी की। ताकि कमजोर से कमजोर व्यक्ति को भी न्याय का अधिकार मिल सके।
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