उत्तराखंड

पिथौरागढ़ के लामरी नदी की झील का जलस्तर न घटने से ग्रामीणों के लिए बढ़ रहा खतरा

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पिथौरागढ़। जिले के लामारी में काली नदी पर बनी झील में 25 दिन बाद भी जल स्तर कम नहीं होने से खतरा बढ़ गया है। लिपूलेख सड़क कटिंग का मलबा नदी में जमा होने से बनी झील का स्तर लगातार बढ़ रहा है। मानसून काल की दस्तक के बीच लगातार बारिश हुई तो एक साथ झील के टूटने से लिपूलेख सड़क के अस्तित्व के साथ घाटी वाले क्षेत्रों को इसकी कीमत चुकानी पड़ सकती है। वित्र मानसरोवर मार्ग में मई माह में काली नदी में झील बन गई थी। 25 दिन से अधिक समय के बाद भी इस झील का पानी कम होने की जगह बढ़ता जा रहा है।

इसका प्रमुख कारण बारिश के साथ ही हिमालयी क्षेत्रों में बर्फ गलने की दर में तेजी आने के बाद जल प्रवाह अधिक होना भी बताया जा रहा है। राहत यह है कि झील के एक हिस्से से बेहद गति के साथ पानी निकल रहा है।

करीब 7 हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर काली नदी में लामारी के समीप झील बनने की जानकारी पहली बार 28 मई को प्रकाश में आई थी। तब 5 दिन से अधिक समय से 300 मीटर से अधिक लंबी झील बनने की जानकारी दी गई थी। लगातार बारिश के बाद अब भी इसका आकार बढ़ता जा रहा है।

हालांकि इन दिनों में झील के एक हिस्से से नदी का प्रवाह शुरू हुआ है। झील के टूटने का खतरा अब भी बना हुआ है। सीमा सड़क संगठन बीआरओ ने यहां पर लिपूलेख तवाघाट सड़क के निर्माण व विस्तारीकरण का काम किया है। नदी में सड़क का मलबा डाले जाने से झील बनी है।

लामारी के समीप काली नदी में बनी झील से पानी के डिस्चार्ज हो रहा है। खतरे वाली बात नहीं है। इसके बावजूद नदी का पानी सड़क तक नहीं पहुंचे इसके लिए बीआरओ को काम करने के आदेश दिए गये हैं।



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