श्रद्धालुओं के पाप धोते-धोते खुद मैली हो गई गंगा, आचमन के लायक नहीं गंगाजल, पढ़िए पीसीबी की रिपोर्ट में हुए खुलासे
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हरिद्वार। गंगा श्रद्धालुओं के पाप धोते-धोते खुद मैली हो गई। गंगा का जल बिना क्लोरिनेशन या ट्रीटमेंट के पीने और आचमन करने के लिए सुरक्षित नहीं है। हालांकि, स्नान करने के लिए उपयुक्त है। उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) की ताजा रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। पीसीबी ने भगीरथ बिंदु और हरकी पैड़ी से लेकर रुड़की तक 12 जगहों से गंगाजल की सैंपलिंग की है।
सैंपलिंग रिपोर्ट में कोलीफॉर्म (एफसी) और टोटल कोलीफॉर्म (टीसी) की मात्रा स्टैंडर्ड मानक से काफी अधिक आई है। हालांकि, डिजॉल्व ऑक्सीजन (डीओ) और बॉयोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) का स्तर मानक से अच्छा मिला है, जो कि जलीय जीव-जंतुओं के लिए उपयुक्त है।
हरिद्वार हिंदू आस्था का केंद्र है। प्रतिदिन हजारों और पर्व स्नान पर लाखों श्रद्धालु पुण्य कमाने गंगा में डुबकी लगाते हैं। हरकी पैड़ी पर सर्वाधिक भीड़ उमड़ती है। हरकी पैड़ी तक जलधारा भगीरथ बिंदु से आती है। पीसीबी ने चारधाम यात्रा शुरू होने से पहले हरिद्वार से लेकर रुड़की तक 12 जगहों से जांच के लिए गंगाजल के सैंपल लिये। इनमें हरकी पैड़ी भी शामिल है।
12 सैंपलों की जांच में सबसे कम टीसी कोलीफॉर्म का स्तर हरकी पैड़ी पर मिला
सैंपलिंग के 25 मानक हैं। इनमें चार प्रमुख मानक हैं। मानकों की जांच रिपोर्ट के बाद ही पानी की गुणवत्ता अलग-अलग श्रेणी में तय होती है। पीसीबी ने जांच रिपोर्ट जारी कर दी है। रिपोर्ट के मुताबिक सभी सैंपलों की ओवरऑल जांच रिपोर्ट में गंगा का जल बी श्रेणी का है। यानी कि बी श्रेणी का जल बिना क्लोरिनेशन या ट्रीटमेंट के पीने योग्य नहीं है।
पानी में कोलीफॉर्म और टोटल कोलीफार्म की मात्रा काफी अधिक मिली है। सभी 12 सैंपलों की जांच में सबसे कम टीसी कोलीफॉर्म का स्तर (63 एमपीएन) हरकी पैड़ी पर मिला है। यानी हरकी पैड़ी पर सबसे साफ पानी है। इसके बाद भी पानी सीधे पीने या आचमन योग्य नहीं है। 50 एमपीएन से नीचे ही पानी पीने योग्य होता है।
गंगा के बहाव के साथ कोलीफॉर्म का स्तर भी बढ़ा है। यानी कारखानों के केमिकल और सीवर की गंदगी गंगा में जा रही है। लक्सर कुडीनेतवाल में कोलीफॉर्म का स्तर 120 मिला है। इसी तरह एफसी कोलीफार्मक का स्तर हरकी पैड़ी पर 46 एमपीएन है। जो कि लक्सर के कंकरखेड़ा में 94 एमपीएन दर्ज हुआ है। गंगा का पानी क्लोरिनेेशन के बिना भले ही इंसानों के पीने योग्य न हो, लेकिन जलीय जंतुओं के लिए काफी अच्छा है।
यात्रियों के दबाव के साथ बढ़ेगा प्रदूषण
गंगा में प्रदूषण का स्तर यात्रियों के दबाव के साथ बढ़ जाता है। चारधाम यात्रा में हरिद्वार पहुंचने वाले यात्रियों की संख्या काफी अधिक हो गई है। रोजाना हजारों यात्री गंगा में डुबकी लगा रहे हैं। इससे जल प्रदूषण भी बढ़ेगा। यात्री गंगा में गंदगी बहाते हैं। बारिश के दिनों में मिट्टी और गाद बहकर आने से कोलीफॉर्म का स्तर काफी अधिक पहुंच जाता है।
चिकित्सकों के अनुसार कोलीफॉर्म विशिष्ट बैक्टीरिया (जीवाणु) का समूह होता है। जो मिट्टी, सड़ी-गली सब्जी, पशुओं के मल एवं गंदे पानी में पाया जाता है। कोलीफॉर्म प्रदूषित जल में पाया जाता है। कोलीफॉर्म बैक्टीरिया इंसान के शरीर के अंदर जाने पर तंत्रिका तंत्र को कमजोर करता है। जिससे बुखार और डायरिया जैसी शिकायत होने लगती है। समय पर इलाज नहीं होने पर किडनी को नुकसान कर सकता है।
क्या है स्टैंडर्ड मानक
1- डिजॉल्व ऑक्सीजन (डीओ) का न्यूनतम स्तर पांच मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक होनी चाहिए। इससे कम होने से जलीय जीव जंतुओं के लिए खतरा माना जाता है। हरिद्वार में डीओ का स्तर 6.8 से लेकर 9.5 तक मिला है।
2- बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) का मानक 3 ग्राम प्रति लीटर है। इससे कम होने पर पानी में ऑक्सीजन का लेवल बढ़ता है। हरिद्वार में बीओडी का स्तर 1.1 से लेकर 2.5 मिला है।
3- कोलीफॉर्म (एफसी) और टोटल कोलीफार्म (टीसी) पानी की शुद्धता का सबसे अहम कारक होता है। 50 एमपीएन से नीचे पानी ही पीने योग्य होता है। 50 एमपीएन से अधिक स्तर का पानी नहाने योग्य होता है। इसे ट्रीटमेंट करके पिया भी जा सकता है। हरिद्वार में एफसी औसतन 34 से 94 मिला है। जबकि टीसी 63 से लेकर 120 एमपीएन मिला है, जो कि सीधे पीने योग्य नहीं है। नहाने के लिए उपयुक्त है।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) के क्षेत्रीय अधिकारी सुभाष पंवार ने बताया कि पानी की शुद्धता मापने के कई बिंदु हैं। बिंदुओं के आधार पर ही पानी के स्तर को अलग-अलग श्रेणियों में विभाजित किया जाता है। ए श्रेणी के मानक का पानी पीये योग्य होता है। जबकि बी और सी श्रेणी का पानी नहाने और ट्रीटमेंट कर पीने योग्य किया जा सकता है। डी श्रेणी का जल पशुओं के लिए उपयुक्त माना जाता है। हरिद्वार में पीसीबी ने 12 जगहों से गंगाजल की जांच की है। जांच में डिजॉल्व ऑक्सीजन (डीओ), बॉयोलॉजिकल आक्सीजन डिमांड (बीओडी) का स्तर स्टैंडर्ड मानक से अच्छा मिला है। जबकि एफसी और टीसी का स्तर अधिक होने से गंगा का जल बी श्रेणी में आया है। यह बिना क्लोरिनेशन पीने योग्य नहीं है।
हरिद्वार से रुड़की तक गंगा के जल की जांच रिपोर्ट
सैंपलिंग -डीओ बीडीओ-टीसी-एफसी
बिंदुभगीरथ 8.1 2.0 70 47
हरकी पैड़ी 9.0 1.5 63 46
ललतारो पुल 8.1-1.6-79-43
डामकोठी 8.8-1.5-79-49
ऋषिकुल 6.8-1.2-79-49
रुड़की-9.5-1.1-110-70
अजीतपुर-9.2-1.9-84-58
बिशनपुर-8.2-1.8-94-58
सुल्तानपुर- 8.8-1.2-84-34
लक्सर-6.8-2.4-110-84
कुडीनेतवाल-6.5-2.0-120-84
कंकरखेड़ा-6.8-2.5-110-94
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