सस्सी बिजली के चक्कर में बज गया उत्तराखंड ऊर्जा निगम का बाजा, 1400 करोड़ के बोझ तले दबा निगम, प्रति यूनिट पर उठा रहा 8 रूपये का घाटा
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देहरादून। राज्य की आम जनता को सस्सी बिजली उपलब्ध कराने के चक्कर में उत्तराखंड ऊर्जा निगम का बाजा बज गया है। उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली देते-देते निगम 1400 करोड़ के बोझ तले दब गया है। अब इस बोझ को निगम और नहीं सह पा रहा है। इसलिए उत्तराखंड में बिजली उपभोक्ताओं को जल्द ही महंगी बिजली का झटका लग सकता है। क्योंकि ऊर्जा निगम पर बिजली की दरों में वृद्धि करने का लगातार दबाव बन रहा है। जिसके बाद उत्तराखंड ऊर्जा निगम ने बिजली दरों में 16 प्रतिशत की वृद्धि करने के लिए उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग को प्रस्ताव भेजा है. जानकारी के मुताबिक इसके लिए आज विस्तृत प्रस्ताव आयोग को सौंपा जाएगा। हालांकि इससे पहले आयोग बिजली दरों में इजाफा करने का प्रस्ताव निगम को वापस कर चुका है।
ऊर्जा निगम ने बिजली की कीमत को बढ़ाने को लेकर अपने तर्क दिए हैं और उसका कहना है कि महंगी बिजली खरीदने से करीब 1400 करोड़ के आर्थिक नुकसान की भरपाई की जाए। इसके लिए निगम ने तर्क दिया गया है कि मार्च, अप्रैल, मई, जून और जुलाई में लगातार बिजली संकट बना हुआ है और संकट के दौरान आम जनता को नियमित बिजली आपूर्ति उपलब्ध कराने के लिए बाजार से अतिरिक्त बिजली खरीदी गई है। बाजार में बिजली संकट के कारण बिजली के रेट 12 रुपये प्रति यूनिट से नीचे नहीं आ रहे हैं और इसके कारण ऊर्जा निगम पर इसका भार पड़ रहा है। इसके साथ ही निगम ने कहा कि अप्रैल, मई के महीनों में 20 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदी गई. इसका सीधा असर निगम पर पड़ रहा है और आर्थिक बोझ भी बढ़ रहा है।
जनता को चार रुपये प्रति यूनिट की दर से दी बिजली
निगम का कहना है कि उसने बिजली खरीदकर आम जनता को 4 रुपये प्रति यूनिट की दर से उपलब्ध कराई है और इसके कारण लगभग 1400 करोड़ का अतिरिक्त बोझ निगम पर पड़ा है। इसके लिए पिछली बार पुनर्विचार याचिका दायर की गई थी। जानकारी के मुताबिक निगम ने दिसंबर 2021 में बिजली की दरें बढ़ाने का प्रस्ताव रखा था और इसके बाद आयोग ने एक अप्रैल से बिजली की दरों में 2.68 फीसदी का इजाफा करने का प्रस्ताव स्वीकार किया था. जबकि इसी साल मई में निगम ने आयोग को बिजली की दरों में 12.50 प्रतिशत की वृद्धि का प्रस्ताव दिया था, जिसे आयोग ने नामंजूर कर दिया था.
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