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हिमाचल प्रदेश के सभी स्कूलों में कमजोर वर्ग के विद्यार्थियों को 25 फीसदी आरक्षण देने का हाईकोर्ट ने किया फैसला

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हिमाचल प्रदेश।  राज्य सरकार की ओर से शिक्षा के अधिकार अधिनियम की पूरी तरह अनुपालना न करने पर हाईकोर्ट ने कड़ा संज्ञान लिया है। हाईकोर्ट ने हिमाचल प्रदेश के सभी स्कूलों में कमजोर वर्ग के विद्यार्थियों को 25 फीसदी आरक्षण देने के आदेश दिए हैं। अदालत ने राज्य सरकार को चेताया कि अधिनियम के प्रावधानों की अनुपालना करने में दिखावटी सेवा करने की कोशिश न करें।  याचिकाकर्ता नमिता मनिकटाला ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम की अनुपालना न करने का आरोप लगाया है। इसी को लेकर न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने सभी सहायता प्राप्त और गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूलों को आदेश दिए हैं कि कमजोर वर्ग से संबंधित और वंचित समूह के विद्यार्थियों को 25 फीसदी आरक्षण दिया जाए।

स्कूलों को इसकी जानकारी हिंदी और अंग्रेजी भाषा में नोटिस बोर्ड में लगानी होगी। इसके अलावा आम जनता की जानकारी के लिए नोटिस को स्कूल परिसर के बाहर चिपकाने के साथ-साथ पंचायत घर, सार्वजनिक स्थान, पंचायतों और नगर निकायों के विभिन्न वार्डों, बस स्टॉप में चिपकाने के आदेश दिए गए हैं। स्कूलों में प्रवेश शुरू होने से पहले ऐसे विद्यार्थियों को आवेदन के लिए 30 दिन दें। खंड प्राथमिक शिक्षा अधिकारी को आदेश दिए गए हैं कि वह संबंधित जिले शिक्षा अधिकारियों को आरक्षण की जानकारी दें। अदालत ने आदेशों की अनुपालना रिपोर्ट 15 मार्च के लिए तलब की है। 

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में बरमाणा और दाड़लाघाट में सीमेंट प्लांट बंद करने के मामले की सुनवाई टल गई है। मुख्य न्यायाधीश एए सैयद और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई तीन मार्च निर्धारित की है। याचिकाकर्ता रजनीश शर्मा ने मैसर्ज अदाणी ग्रुप की ओर से सीमेंट प्लांट को बंद करने के निर्णय को चुनौती दी है। आरोप लगाया गया है कि अदाणी ग्रुप ने एकाएक दोनों प्लांट बंद कर दिए। इस व्यवसाय से जुड़े हजारों परिवारों के जीवन के साथ खिलवाड़ किया गया है। याचिका के माध्यम से दलील दी गई थी कि बरमाणा सीमेंट प्लांट में 4000 ट्रक सिमेंट ढुलाई के कार्य में लगे थे। इसी तरह दाड़लाघाट में भी 3500 परिवारों का गुजारा सीमेंट ढुलाई से ही चलता था। दोनों सीमेंट प्लांट बंद करने से पहले मैसर्ज अदाणी ग्रुप ने नियमों के तहत न तो राज्य सरकार को एक महीने का नोटिस दिया और न ही श्रम विभाग को प्लांट बंद करने की सूचना दी गई।



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