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एक बार फिर मंदी के दौर से गुजरने लगी पंजाब की गारमेंट इंडस्ट्री

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पंजाब। कोविड काल के बाद पंजाब की गारमेंट इंडस्ट्री एक बार फिर मंदी के दौर से गुजर रही है। मांग में कमी के चलते कच्चे माल के दाम 35 फीसदी तक गिर गए हैं, जिसकी वजह से फैक्ट्रियों में करोड़ों रुपये का माल फंस गया है। देश में निर्यात थमने और ठंड की देरी से दस्तक इसकी सबसे बड़ी वजह मानी जा रही है।

जानकारी के अनुसार पंजाब के लुधियाना से होजरी और निटवियर का सालाना तीन हजार करोड़ का निर्यात होता है। यहां कच्चे माल के तौर पर कॉटन भी चीन को भेजा जाता है लेकिन इस बार मांग न होने से निर्यात पिछले कुछ महीने से थम सा गया है। इसका सीधा असर पंजाब के गारमेंट उद्योग पर पड़ा है। वहीं, इस बार ठंड की देरी से दस्तक के कारण देश में ही होजरी उत्पाद की डिमांड घट गई। इसकी वजह से कच्चे माल के दाम 400 रुपये प्रतिकिलो से 195 तक आ गए हैं। 

लुधियाना बिजनेस फोरम के सचिव नरिंद्र मित्तल का कहना है कि कच्चे माल की मांग न आने से मैन्युफैक्चरिंग बंद करनी पड़ी है। इंडस्ट्री कोविड के बाद एक बार फिर मंदी के दौर से गुजर रही है। वहीं, होजरी उद्योग के लिए कच्चा माल तैयार करने वाली अनुराधा इंटरनेशनल कंपनी के प्रबंध निदेशक दिनेश कालरा ने बताया कि डिमांड न आने से कच्चे माल के दाम 35 फीसदी तक गिर गए हैं। पंजाब से होजरी के उत्पाद बड़े पैमाने पर निर्यात किए जाते हैं लेकिन इस बार एक्सपोर्ट मार्केट में पिछले कई माह से कोई हलचल नहीं है। इसकी वजह से भी मांग पर असर पड़ा है। करोड़ों का माल उद्योगों में डंप है। उद्योग एक बार फिर मंदी के दौर से गुजर रहे हैं।

कपड़ा उद्योग के हब लुधियाना में संगठित और असंगठित क्षेत्र में होजरी निटवियर, टेक्सटाइल की करीब 15000 इकाइयां हैं। इनका सालाना कारोबार भी करीब पंद्रह हजार करोड़ है। इसमें से सात से आठ हजार करोड़ का कारोबार वूलन सेक्टर का है, जबकि यहां से तीन हजार करोड़ तक का निर्यात होता है। इसमें होजरी का तैयार माल और कच्चे माल की आपूर्ति शामिल है। 



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