उत्तराखंड

पिता की फटकार से नाराज होकर तीन बच्चे पड़ोस की बालिका को लेकर हुए फरार

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अल्मोड़ा। पिता की फटकार से नाराज होकर नेपाली मूल के तीन बच्चे पड़ोस की 10 वर्षीया बालिका को साथ लेकर घर से अचानक लापता हो गए। नेपाल में नानी के घर जाने की फिराक में निकले बच्चे जंगल में बुरी तरह फंस गए। पुलिस ने मोबाइल के जरिए लोकेशन ट्रेस कर किसी अनहोनी से पहले बच्चों को सुरक्षित ढूंढकर उनके घर पहुंचा दिया। एसएसपी ने पुलिस टीम को प्रशस्तिपत्र देकर सम्मानित किया। सोमेश्वर के पिनाकेश्वर के जंगलों से सटे दुर्गम ग्राम कांटली में नेपाली मूल निवासी कर्ण बहादुर खत्री अपने तीन नाबालिग बच्चों के साथ रहता है। कर्ण बहादुर ने किसी बात पर बच्चों को डांट फटकार लगाई। फटकार से नाराज होकर बच्चों ने घर से नेपाल जाने की योजना बनाई। बीते सोमवार को पिता के काम पर निकलते ही मौका देखकर पड़ोस की 10 वर्षीय बालिका को लेकर तीनों बच्चे पिनाकेश्वर के जंगलों की ओर निकल गए।

शाम करीब पांच बजे जब कर्ण काम कर घर लौटा तो बच्चे घर में नहीं थे। बाद में पता लगा की पड़ोसी जगदीश की पुत्री भी घर से लापता है। ग्रामीणों के साथ स्वजनों ने खोजबीन शुरू की। लेकिन देर शाम तक कहीं कुछ पता नहीं चल सका तो पीड़ित परिवारों ने सोमेश्वर थाने में बच्चों की गुमशुदगी की सूचना दी।

एसएसपी के निर्देश पर थानाध्यक्ष विजय नेगी ने टीम गठित कर जांच शुरू कर दी। बच्चों के पास मोबाइल भी था। मोबाइल सर्विलांस के जरिए लापता बच्चियों का पता लगाया गया, जिसके बाद पुलिस टीम ने कांटली व पिनाकेश्वर के जंगलों में सघन कांबिंग की। गुलदार के गुर्राने की आवाज से पुलिस को अनहोनी का अंदेशा था। पुलिस को दूरस्थ घने जंगल के बीच एक टेंट लगा दिखा।

टेंट के अंदर चरपाई के नीचे चारों बच्चे सहमे हुए छिपे थे। पुलिस ने बच्चों को बरामद किया, जिसके बाद उन्होंने घर से भागने की सारी कहानी बताई। उन्होंने कहा कि जंगल में एक गुलदार दिखाई दिया, जिससे वह काफी डर गए थे। बच्चों ने बताया कि गुलदार उनके टेंट के आसपास घूम रहा था। एसओ ने बच्चों को बरामद कर स्वजनों के सुपुर्द कर दिया। एसओ ने बताया कि चारों बच्चे घर से खाना बनाने का सामान समेत अन्य सामग्री लेकर आए थे।

पुलिस ने समन्वय बनाकर बेहतर तरीके से कार्य किया है। अभिभावकों को भी विशेष सतर्कता की जरूरत है। बच्चों के लालन-पालन में किसी प्रकार की लापरवाही न करें।



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