उत्तराखंड

बुखार के गंभीर रोगियों को डेंगू की तरह दिया जाय इलाज, निगेटिव रिपोर्ट के चलते लक्षणों को नजरअंदाज न करें डॉक्टर, डॉ एनएस बिष्ट की सलाह

[ad_1]

डॉ एनएस बिष्ट का बड़ा बयान, बोले डेंगू से पीड़ित मरीजों की रिपोर्ट आ रही है निगेटिव

देहरादून। राज्य के सरकारी अस्पताल बुखार के रोगियों से पटे पड़े हैं। जैसा कि पहले से ही अंदेशा ही था कि सितंबर के महिने में डेंगू अपने चरम पर पहुंच चुका है। मगर इस बार डॉक्टर काफी दुविधा में दिख रहे हैं, कारण है डेंगू के लक्षणों वाले मरीजों में डेंगू की रिपोर्ट का निगेटिव आना या एक साथ ऐंटीजन और दोनों ऐंटीबॉडी का भी पॉजिटिव आ जाना या फिर टाइफाइड की जाँच का पॉजिटिव होना।

जिला अस्पताल कोरोनेशन में सीनियर फिजीशियन डॉ एनएस बिष्ट का कहना है कि अस्पताल आने वाला हर दूसरा व्यक्ति बुखार से पीडित है। 10 में से 9 मरीज डेंगू के लक्षणों वाले बुखार से पीड़ित हैं लेकिन चौंकाने वाले बात ये है कि जांच कराने पर इनकी रिपोर्ट पॉजिटिव के बजाये निगेटिव आ रही है। यानि मरीाजों में डेंगू पॉजिटिव दर काफी कम है जबकि डेंगू के लक्षण बहुत ज्यादा। डॉ एनएस बिष्ट का कहना हैकि अब क्योंकि कोविड-19 ढलान पर है और बाकी वायरल के बुखार ज्यादा गंभीर नहीं होते ऐसे में बुखार के गंभीर रोगियों को नेगेटिव रिपोर्ट पर भी डेंगू की ही तरह इलाज देना चाहिए ताकि नेगेटिव रिपोर्ट की वजह से किसी मरीज़ के इलाज में लापरवाही न हो।

जानिए क्यों आ रही है डेंगू मरीजों की रिपोर्ट निगेटिव
डॉ एनएस बिष्ट के मुताबिक डेंगू की जाँच सही न आ पाने का कारण डेंगू से दोबारा संक्रमण या फिर टाइप 2 और 4 से संक्रमण हो सकता है। चूंकि 2019 में डेंगू का संक्रमण दुनियाँ में सबसे ज्यादा मामले लेकर आया तो तीन साल बाद यह दोबारा संक्रमण वाले मामलों की तादाद ज्यादा हो सकती है। डॉ बिष्ट के मुताबिक समयपूर्व और समय के बाद जाँच कराने से भी निगेटिव रिपोर्ट आ सकती है। जैसे कि एस-1 टेस्ट शुरुआत में नहीं कराने या फिर बुखार छूटने के बाद दोबारा बुखार आने पर कराने से नेगेटिव ही आएगा क्योंकि एंटीज़न टेस्ट 7 दिन के बाद नेगेटिव हो जाता है। एंटीबॉडी टेस्ट 7 दिन से पहले नेगेटिव ही रहता है। बुखार की मियाद का सही से पता न चल पाना इसका एक कारण है

बुखार में ये लक्षण दिखें तो सावधान रहें- डॉ बिष्ट
डॉ बिष्ट के मुताबिक डेंगू मरीजों के पूरे शरीर की मांसपेशियों जोड़ों में दर्द, सिरदर्द, बेचौनी, निम्न रक्तचाप, उल्टी, मचली आना, शरीर निढाल हो जाना, त्वचा में हल्की लालिमा या राष इस फीवर आउटब्रेक के मुख्य लक्षण हैं। नेगेटिव रिपोर्ट के बाद भी स्वेत रक्त कणो की संख्या या टीएलसी के आधार पर बुखार के गंभीर रोगियों का इलाज डेंगू की तरह ही होना चाहिये। डॉ बिष्ट का कहना है कि टीएलसी डेंगू मरीजों में काफी कम हो सकता है, 2000 से भी कम, साथ ही पित्त की थैली के आसपास पानी जमा होने लगता है। लीवर इंजाएम भी समान्य तौर पर बढ़े हुए मिलते हैं।

इलाज में पेरासिटामोल के अलावा कोई भी दावा नुकसान पहुँचा सकती है मरीज़ के शरीर में पानी की कमी ना होने दें। इसके साथ ही रक्तचाप कम ना होने दें। बेचौनी थकावट खड़े ना हो पाना निम्न रक्तचाप के मुख्य लक्षण हैं।



[ad_2]

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *