उत्तराखंड

हरिद्वार में पिता ने पुत्र को किया एसडीएम की कोर्ट में तलब, जानिए वजह

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हरिद्वार। ज्वालापुर आर्यनगर निवासी चंद्र प्रकाश शर्मा अपनी पत्नी के साथ अलग घर में रहते है, वहीं बेटा शरद शर्मा माता- पिता को छोड़ दूसरे घर में रहता है। शरद एक मल्टीनेशनल कंपनी में कार्यरत है, माता- पिता के बुढ़ापे का जहां शरद को सहारा बनना चाहिए था, वहीं वह अपनी जिम्मेदारी से भाग माता- पिता को छोड़ अलग रहने लगा। इतना ही नहीं बल्कि उनकी देखभाल का जिम्मा भी अपने सर से हटा दिया। पिता को यह बात मंजूर नहीं हुई, और होनि भी नहीं चाहिए। माता- पिता के बुढ़ापे का सहारा उनके साथ ऐसा करें, पिता से यह देखा नहीं गया, जिसके चलते चंद्र प्रकाश ने एसडीएम पूरण सिंह राणा की कोर्ट में माता- पिता वरिष्ठ नागरिक भरण- पोषण और कल्याण अधिनियम के तहत याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने कहा कि मेरी उम्र 71 वर्ष हो चुकी।

बुढ़ापे के चलते बाहर कहीं काम नहीं कर सकता, वहीं बेटा मल्टीनेशनल कंपनी में कार्यरत है। अच्छी खासी इनकम बेटे की है, लेकिन बावजूद इसके वह अपने माता- पिता को नहीं देखता है, उनकी पत्नी की तबीयत भी खराब चल रही है। पैसे न होने की वजह से वह उसका इलाज नहीं करा पा रहे है, और बेटे को अपने मां- बाप पर तरस तक नहीं आ रहा है। एसडीएम पूरण सिंह ने पूरे मामले की सुनवाई करते हुए चंद्र प्रकाश के बेटे शरद शर्मा को कोर्ट में तलब किया। जहां एसडीएम ने शरद शर्मा को उनके कर्तव्यों के बारे में अवगत कराते हुए आदेश दिए कि वह प्रतिमाह अपने बुजुर्ग मां- बाप को 20 हजार रुपये गुजारे भत्ते के तौर पर प्रदान करें, और यदि वह ऐसा नहीं करेगा, तो उसके खिलाफ फिर उचित कदम उठाए जाएंगे। शरद शर्मा ने भी इस पूरी बात पर सहमति जताई है। इसके साथ ही एसडीएम द्वारा थाना कनखल पुलिस को गुजारे भत्ते की धनराशि प्रतिमाह बुजुर्ग माता- पिता के पास पहुंचाने के आदेश जारी किए है।



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