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हाईकोर्ट का अहम फैसला, चेक पर हस्ताक्षर होना किसी को दोषी साबित करने के लिए काफी नहीं

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चंडीगढ़ । पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि चेक पर हस्ताक्षर होने के चलते किसी को दोषी करार नहीं दिया जा सकता। शिकायतकर्ता को यह साबित करना अनिवार्य है कि चेक जारी करने वाले की देनदारी है या किस कारण चेक जारी किया गया था।

अमृतसर निवासी प्रवीन मेहता ने याचिका दाखिल करते हुए हाईकोर्ट को बताया कि उसने विशाल जोशी को 85 हजार रुपये दिए थे। इस राशि के बदले उसने चेक जारी किया था। इस चेक को जब उसने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में लगाया तो यह बैलेंस मौजूद न होने की वजह से वापस आ गया। याची ने इसके बाद जोशी को लीगल नोटिस भेजा लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। इसके बाद उसने इसकी अदालत में शिकायत दी थी। निचली अदालत ने याची की शिकायत को खारिज कर दिया। ऐसे में अपील की अनुमति के लिए यह याचिका दाखिल की गई है।

हाईकोर्ट ने कहा कि याची यह साबित करने में नाकाम रहा कि उसे किस वजह से यह राशि जोशी से लेनी है। जोशी ने इस चेक पर अपने हस्ताक्षर स्वीकार किए हैं, लेकिन उसने बताया कि उसने यह सिक्योरिटी चेक दिया था। उसने याची से पांच हजार रुपये लिए थे जिसका भुगतान वह कर चुका है। याची ने उसे चेक वापस नहीं किया और इस पर 85 हजार रुपये भर कर इसे लगा दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि केवल चेक पर हस्ताक्षर होने के चलते किसी को दोषी करार नहीं दिया जा सकता। चेक जारी करने वाले से राशि क्यों लेनी है यह साबित करना भी जरूरी है।



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