उत्तराखंड

शराब विरोधी जन अभियान के लिए 34 सदस्यीय टीम का हुआ गठन

25 अगस्त को कौलागढ़ में निकाला जाएगा मार्च, 1 सितंबर को नेहरूग्राम में और 8 सितंबर को सेलाकुई क्षेत्र में

देहरादून। शराब विरोधी जन अभियान में सक्रिय कार्यकर्ताओं की टीम ही शराब विरोधी जन जागरूकता अभियानों का नेतृत्व करेगी।अभियान के तहत 25 अगस्त में कौलागढ़ में निकाले जाने वाले जन जागरूकता मार्च को भी अंतिम रूप दे दिया गया है। देहरादून के शहीद स्मारक में विभिन्न संगठनों, समाजिक कार्यों में सक्रिय नागरिकों की बैठक में शराब विरोधी जन अभियान को आगे बढ़ाने के बारे में विचार किया गया। सभी संगठनों और बैठक में मौजूद नागरिकों ने देहरादून के अलग-अलग हिस्सों में हर रविवार को जागरूकता मार्च निकालने की बात कही। इसके साथ ही अभियान को पूरे राज्य तकl ले जाने के लिए अलग-अलग क्षेत्रों में सक्रिय जनसंगठनों और इस मुहिम में सक्रीय होने के इच्छुक लोगों से संपर्क करने की बात कही गई ।

उत्तराखंड इंसानियत मंच के डॉ. रवि चोपड़ा ने कहा कि आने वाले कार्यक्रमों का ढांचा और प्रक्रिया सुनिश्चित करने के साथ ही अभियान के लिए साधनों की व्यवस्था भी करनी होगी। पूर्व शिक्षा निदेशक नन्दनंदन पांडे ने राज्य भर में किसी भी तरह का जनजागरूता अभियान चलाने वालों और निःस्वार्थ भाव से सिर्फ जनहित के किसी भी मुद्दे के लिए ही संघर्ष करने वाले लोगों को चिह्नित कर उन्हें इस मुहिम से जोड़ने की जरूरत बताई। पूर्व प्राथमिक शिक्षक संघ अध्यक्ष महिला मंच वरिष्ठ नेत्री उषा भट्ट का कहना था कि इस समय सबसे बड़ा खतरा ड्रग्स का है जो बच्चों की जिंदगी बर्बाद कर रहा है l

गढ़वाल सभा के अध्यक्ष रोशन धस्माना ने सुझाव दिया कि सरकार से मांग की जाए कि प्राइवेट नशा मुक्ति केंद्र नहीं बल्कि स्वयं सरकार द्वारा उत्कृष्ट कोटि के रिहैब सेंटर खोले जायँ I उत्तराखंड के सुरेन्द्र सिंह सजवाण ने कहा कि नशे की सबसे ज्यादा समस्या युवाओं के साथ है, इसलिए इस मुहिम में ज्यादा से ज्यादा युवाओं को जोड़ने की जरूरत है। सर्वोदय मंडल के बीजू नेगी ने कहा कि इस समय कई ऐसे मुद्दे हैं, जिनसे आम लोग प्रभावित हो रहे हैं, लेकिन नशा सबसे बड़ा मुद्दा है। इसलिए इस संबंधी तथ्यों की जानकारी भी एकत्र की जानी चाहिए I क्यूंकि तभी हम लोगों को ज्यादा प्रभावित व प्रेरित कर पाएंगे ।

राजेन्द्र प्रसाद सेमवाल ने कहा कि जिन क्षेत्रों में नशा का चलन सबसे ज्यादा है,उन क्षेत्रों को चिन्हित करके वहां जनजागरूकता अभियान चलाने होंगे। तुषार रावत ने खेलों के माध्यम से युवाओं को जोड़ने की जरूरत बताई। पूरन बड़थ्वाल ने कहा कि ऐसे लोगों की तलाश भी करनी चाहिये जो नशे के चंगुल से बाहर निकले हैं, वे अपनी कहानियां बताएंगे तो नशे में फंसे युवाओं को इससे निकलने की प्रेरणा मिलेगी। भारत ज्ञान विज्ञान समिति के विजय भट्ट ने कहा कि नशा करने वाले अलग अलग वर्ग हैं , इनका विश्लेषण करके तय करना होगा कि हमारा अभियान किस वर्ग को फोकस करेगा। उन्होंने कहा कि जितने गलत काम हो रहे हैं, उनमें नशा का एंगल जरूर है।
इप्टा के हरिओम पाली ने जन जागरूता अभियान के दौरान नशे को लेकर पर्चे बांटने की जरूरत बताई।

जन संवाद समिति के सतीश धौलाखंडी ने कहा कि नशे की सप्लाई करने के लिए कई तरह के तरीके ईजाद किये गये हैं। कुछ लोग तो टिफिन सर्विस के नाम पर भी हॉस्टलों और दूसरी जगहों पर नशा सप्लाई कर रहे हैं। ट्रांसजेंडर समुदाय की ओर से नेत्री ओसीन ने कहा कि उनके समुदाय मे भी नशे की लत तेजी से बढ़ी है। ट्रांसजेंडर समुदाय को भी जागरूकता अभियान से जोड़ने की जरूरत है। बैठक का संचालन करते हुए कमला पंत और एक्टिविस्ट त्रिलोचन भट्ट ने अभियान की भावी रणनीति के बारे में चर्चा की l इसी के साथ बैठक में रुद्रपुर में और देहरादून के बस अड्डे पर हुई रेप की घटनाओं पर कड़ी नारागजी जताई गई और 20 अगस्त को शाम 6 बजे देहरादून आईएसबीटी के बाहर होने वाले प्रदर्शन में ज्यादा से ज्यादा संख्या में पहुंचने की अपील कीगई है।

इस बैठक में निर्मला बिष्ट, पद्मा गुप्ता, विजय नैथानी, शकुंतला गुसाईं सहित 50 से ज्यादा लोग मौजूद थे।

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