ब्लॉग

विधि-सम्मत कार्रवाई होगी

झूठेऔर भ्रामक विज्ञापनों के जरिए आम आदमी को पल्रोभन देकर पैसा बनाने वाली कंपनियों को स्वप्रमाण-पत्र जारी करना होगा। यह दावा गलत हुआ तो हर्जाना चुकाना होगा। उनके खिलाफ विधि-सम्मत कार्रवाई भी होगी। रामदेव की कंपनी पतंजली के भ्रामक विज्ञापन मामले के आलोक में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अमल करने के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने यह कदम उठाया है। मंत्रालय द्वारा ऐसी प्रणाली और पोर्टल तैयार किया जा रहा है, जिसमें विज्ञापनदाता स्व-प्रमाणपत्र अपलोड करेगा। केंद्र सरकार के उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने इस बाबत दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं जिनके तहत कंपनियों को अपने उत्पादों और वस्तुओं की बिक्री बढ़ाने की गरज से भ्रामक विज्ञापनों से बचने की सलाह दी गई है। भ्रामक विज्ञापनों को करने वाली चर्चित हस्तियों को भी इस झूठ में शामिल माना जाएगा।

यह व्यवस्था अगले महीने से लागू हो जाएगी। दावा गलत सिद्ध होने पर मुकदमा दायर होगा तथा मुआवजा भी देना होगा। हैरत नहीं होनी चाहिए कि अदालत के कड़े रुख के बाद संबंधित मंत्रालय और व्यवस्था चेत रही है। वरना तो अपने यहां गोरापन बढ़ाने वाली क्रीम तकरीबन 54 सालों से भ्रामक विज्ञापनों के सहारे ही बिकती रही हैं, जिनका सालाना रेवेन्यू 2400 करोड़ रुपये से ज्यादा का बताया जा रहा है।
ऐसे ही बच्चों की लंबाई बढ़ाने या हड्डियां मजबूत करने का दावा करने वाले तमाम प्रोडक्ट्स से बाजार अटे पड़े हैं। स्वास्थ्यवर्धक पेयों के मामले में भी कुछ ऐसा ही मंजर है, जिनका बाजार 7500 करोड़ रुपये से ज्यादा का बताया जा रहा है। ताजगी बढ़ाने और भीषण गरमी से राहत देने वाले सॉफ्ट ड्रिंक्स का बाजार 5700 करोड़ रुपये का है, जिनमें शक्कर की मात्रा घातक स्तर तक होने की चेतावनी जब-तब चिकित्सक देते रहते हैं। देश में हर ग्यारहवां शख्स डायबिटीज की चपेट में है।

मगर इन सब चीजों का प्रचार जोर-शोर से साल-दर-साल बढ़ता ही जा रहा है। मुनाफा कमाने वाली कंपनियों के खिलाफ कहीं कोई आवाज उठी भी तो तूती की तरह दब जाती है। इसके लिए स्पष्ट तौर पर सरकार और उसके मंत्रालय जिम्मेदार हैं जिन्हें जनता को भ्रामक प्रचार से बचाने के सख्त कदम उठाने थे। इस बात का फायदा उठाते हुए भ्रामक प्रचार और विज्ञापन के बल पर चांदी कूटने वाली कंपनियां बेखटके रहीं। अब हालांकि बहुत देर हो चुकी है। स्व-प्रमाणपत्र जैसी गाल बजाने वाली व्यवस्था देकर पीठ थपथपाने की बजाय गुणवत्ता मानक सख्ती से तय किए जाएं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *